छत्तीसगढ़ में स्वयंसेवी शिक्षकों की एक बड़ी संख्या है, जो इस कार्यक्रम की सफलता का सकारात्मक पक्ष है। निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ वर्ष 2027 तक प्रदेश को पूर्ण साक्षर करने में सफल होगा। शर्मा आज एससीईआरटी और राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अनुशंसित उल्लास कार्यक्रम के राज्य स्तरीय प्रशिक्षण के समापन सत्र को वर्चुअल सम्बोधित कर रही थी।

प्रशिक्षण का समापन राजेन्द्र कुमार कटारा संचालक एससीईआरटी व एसएलएमए की अध्यक्षता, अतिरिक्त संचालक एससीईआरटी जे.पी. रथ एवं प्रभारी सीएनसीएल, एनसीईआरटी प्रो. उषा शर्मा की उपस्थिति में हुआ।

अर्चना शर्मा अवस्थी ने कहा कि उल्लास कार्यक्रम में महिला शिक्षार्थियों की संख्या ज्यादा है। उन तक पहुँचने के लिए मनरेगा कार्य स्थल और आंगनबाड़ी केन्द्र की हितग्राही महिलाएं हमारे लिए सुगम लक्ष्य हो सकता है। इनको लक्षित करते हुए स्वयंसेवी शिक्षकों के माध्यम से साक्षर किया जा सकता है। कार्यक्रम की सफलता के लिए स्वयंसेवी शिक्षकों को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। यही हमारे कार्यक्रम के सफलता की कुंजी होगी।

एससीईआरटी व एसएलएमए के संचालक राजेन्द्र कुमार कटारा ने कहा कि कालेजों, स्कूलों के बच्चों को स्वप्रेरणा से उल्लास कार्यक्रम के स्वयंसेवी शिक्षक के रूप में जोड़ने का प्रयास करें। बेहतर हो कि डीएड और बीएड कालेजों के छात्र-अध्यापकों को प्रोजेक्ट कार्य के रूप में 10 असाक्षरों को साक्षर बनाने का कार्य दिया जाए।

उन्होंने कहा कि हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि चिन्हांकित शिक्षार्थी जब उल्लास केंद्र तक आए तो उनको सीखने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करें और लेखन संबंधी अभ्यास कराया जाए। कटारा के द्वारा प्रतिभागियों से प्रशिक्षण के संबंध में चर्चा की गई और कार्यक्रम के जमीनी स्तर पर सफल क्रियान्वयन हेतु सुझाव लेकर आवश्यक मार्गदर्शन दिया गया।

प्रशिक्षण कार्यशाला को अतिरिक्त संचालक जे.पी. रथ व उल्लास कार्यक्रम के नोडल अधिकारी प्रशांत कुमार पाण्डेय ने भी संबोधित किया। एससीएल के प्रकोष्ठ प्रभारी डेकेश्वर प्रसाद वर्मा, प्रशिक्षक अमन गुप्ता, सुभावना खेड़ा सहित प्रदेश के जिलो के परियोजना अधिकारी, नोडल अधिकारी, डाइट के प्रकोष्ठ प्रभारी एवं रिसोर्स पर्सन उपस्थित थे।