बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने ट्रैप कैमरे के माध्यम से बाघ व अन्य वन्य प्राणियों की गणना बुधवार से प्रारंभ कर दी है। एक ग्रिड प...
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बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने ट्रैप कैमरे के माध्यम से बाघ व अन्य वन्य प्राणियों की गणना बुधवार से प्रारंभ कर दी है। एक ग्रिड पर दो कैमरे लगाए गए हैं, ताकि जब वन्य प्राणी इसके सामने से गुजरे तो आटोमेटिक कैमरा क्लिक हो जाए और उनकी तस्वीर कैद हो जाए। इस विधि से गणना 25 दिनों तक चलेगी। इसके बाद कैमरे में लगे चिप को निकालकर कम्यूटर में सेव कर आकलन किया जाएगा। बाघों की गणना, उनकी धारियों के आधार पर होगी। इस गणना को लेकर टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने अच्छी तैयारी की है। इसकी वजह भी है कि जिस जंगल को टाइगर संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है, वहां बाघों की संख्या बढ़ती रहे। जितने अधिक बाघ होंगे, उतना ही अचानकमार टाइगर रिजर्व का नाम होगा। एटीआर में बाघ बढ़ रहे हैं। यह हम नहीं बल्कि टाइगर रिजर्व प्रबंधन के आंकड़े बताते हैं। ताजा स्थित जानने के लिए एक बार टाइगर रिजर्व प्रबंधन गणना में जुट गया है। हालांकि यह फेस फोर मानिटरिंग का दूसरा चरण है। पहले चरण ट्रांजिट व ट्रेल लाइन विधि से गणना की गई। प्रबंधन की नजर में ट्रैप कैमरे से गणना करना महत्वपूर्ण विधि है। इसमें सीधे वन्य प्राणियों की फोटो कैद होती है। बशर्ते कैमरे सही स्थान पर लगे हो। स्थान चयन के लिए प्रबंधन ने खूब जद्दोजहद की। जब स्थल चिन्हित हो गया, उसके बाद कैमरो की जांच का कार्य चला, ताकि जब इन्हें लगाए जाए तो वह बेहतर ढंग से काम करें।
प्रतिदिन मानिटरिंग, केवल बैटरी बदली जाएगी
ट्रैप कैमरे सुरक्षित है या नहीं, इसे देखने के लिए प्रतिदिन वन अमला जंगल के अंदर जाकर निगरानी करेगा। इसके अलावा तीन से चार दिन अंतराल में कैमरे की बैटरी बदली जाएगी। चिप से किसी तरह छेड़छाड़ नहीं किया जाएगा। यदि बैटरी काम नहीं करेगी तो कैमरा क्लिक नहीं होगा। इसके अलावा सुरक्षा भी जरूरी है। यदि बैटरी नहीं है या किसी ने चोरी कर ली तो गणना की प्रक्रिया अधूरी रह जाएगी। इसके चलते प्रबंधन दोबारा मेहनत करनी पड़ेगी।
उम्मीद, बढ़ेगा आंकड़ा
टाइगर रिजर्व प्रबंधन को इस बार पूरी उम्मीद है कि अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ेगी। प्रबंधन इसको लेकर न केवल बेहतर प्रबंध कर रहा है। इसके अलावा अन्य व्यवस्थाओं पर भी काम चल रहा है। वर्तमान में यहां आठ से नौ बाघ होने की पुष्टि है। बाघों के लिए अचानकमार का वातावरण बेहतर है। आहार से लेकर पानी सभी पर्याप्त है।
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