रायपुर। प्रदेश में इस साल एमबीबीएस की 220 सीटें बढ़ीं हैं और 2130 सीटें हो चुकी हैं। नीट यूजी क्वालिफाइड छात्र भी 22300 से ज्यादा हैं। फिर भ...
रायपुर। प्रदेश में इस साल एमबीबीएस की 220 सीटें बढ़ीं हैं और 2130 सीटें हो चुकी हैं। नीट यूजी क्वालिफाइड छात्र भी 22300 से ज्यादा हैं। फिर भी इस साल केवल 5700 छात्रों ने एडमिशन के लिए ऑनलाइन पंजीयन कराया है। जबकि पिछले साल 1910 सीटों के लिए 6300 से ज्यादा छात्रों ने पंजीयन करवाया था।
पिछले साल से 600 छात्रों ने कम पंजीयन कराया है। इसकी प्रमुख वजह बैंक द्वारा छात्रों की सुरक्षा निधि वापस नहीं करना है। पिछली काउंसलिंग शुरू हुए 13 माह से ज्यादा गुजर गए हैं। इसके बाद भी बैंक 400 से ज्यादा छात्रों के पैसे वापस नहीं कर पाया है। इसमें 50 से ज्यादा छात्रों के एक-एक लाख भी शामिल है। वे बैंक का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा निधि की राशि वापस नहीं मिल रही है।
नए सत्र के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शनिवार को खत्म हो गया।
जनवरी में भेज दिया था बैंक डिटेल, फिर देरी कैसे?
डीएमई कार्यालय ने भी इस साल जनवरी में सभी छात्रों के डिटेल बैंक को भेज दिया था। बैंक का दावा है कि एनआईसी ने 6 माह में डेटा नहीं दिए। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। यही नहीं बैंक के अधिकारी ऑडिट ऑप्शन, बैंक खातों की अधूरी जानकारी या कुछ पेमेंट क्रेडिट कार्ड से होने का हवाला देकर फीस लौटाने में देरी करता रहा।
छात्रों की परेशानी को देखते हुए डीएमई ने 26 जून को एक गूगल लिंक जारी किया था, जिसमें फीस वापस नहीं मिलने वाले छात्रों को पूरा डिटेल देने को कहा गया था। इसके बाद कई छात्राें ने निजी बैंक की शिकायत करते अपना पूरा डिटेल दिया। फिर भी वे पैसे के लिए चक्कर लगा रहे हैं। पिछले साल काउंसिलिंग में शामिल हुए 5184 छात्रों को मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में कोई सीट नहीं मिली। नियमानुसार इसे लौटाने का नियम है।
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