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आबकारी विभाग की मिलीभगत से फल-फूल रहा कोचियों का धंधा, दुर्ग संभाग में खुलेआम बिक रही अवैध शराब

  दुर्ग।जहां एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में नई शराब दुकानों का उद्घाटन कर राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर दुर्ग संभाग में ...

 


दुर्ग।जहां एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में नई शराब दुकानों का उद्घाटन कर राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर दुर्ग संभाग में आबकारी विभाग की मिलीभगत से कोचियों द्वारा अवैध शराब का कारोबार चरम पर है। विभाग की शह पर यह अवैध धंधा न केवल ग्रामीण इलाकों में, बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी खुलेआम चल रहा है।



स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि आबकारी अमला जानबूझकर कार्रवाई नहीं कर रहा। कई इलाकों में वर्षों से कोचियों के ठिकाने सक्रिय हैं, लेकिन विभाग की तरफ से कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सूत्रों का कहना है कि कुछ अधिकारियों की हिस्सेदारी इस गोरखधंधे में सीधी है, जिनके पास हर माह "हफ्ता" पहुंचता है।


केस 1: यादव होटल साकरा रोड, अमलेश्वर-जामगांव मार्ग



हमारी न्यूज़ टीम जब अमलेश्वर से कुछ दूरी पर स्थित होटल यादव साकरा पहुंची, तो पाया कि सड़क किनारे ग्रामीण खुलेआम शराब बेच रहे थे। टीम के रिपोर्टर ने जब मौके पर एक व्यक्ति से जानकारी ली, तो उसने मसालेदार शराब की एक "शोले" नामक पाव ₹150 में बेची। रिपोर्टर ने जब सवाल पूछे, तो उसने गरीबी का हवाला देते हुए गोलमोल जवाब दिए। जैसे ही आसपास के लोगों को भनक लगी, बेचने वाले सतर्क हो गए। यह भी जानकारी मिली कि सुबह 5 बजे से 9 बजे तक यहां सैकड़ों लोग शराब लेने पहुंचते हैं।


केस 2: 'रजिया बार' के नाम से चर्चित महिला  शराब तस्कर



करीब 10 किलोमीटर के दायरे में कोई वैध शराब दुकान नहीं है, लेकिन पिछले 20 वर्षों से एक महिला "रजिया बार" के नाम से कुख्यात दुकान से शराब बेच रही है। हमारी टीम ने एक घंटे तक निगरानी की और पाया कि उस दौरान 100 से अधिक पाव बेचे गए। पूछने पर महिला ने कहा कि "सबका सहयोग मिलता है, और हम भी सबको सहयोग करते हैं।" सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि उसने आबकारी विभाग के एक अधिकारी "दुबे जी" का नाम लिया और कहा कि उनसे उसके अच्छे संबंध हैं। सवाल उठता है – कौन है यह दुबे जी, और क्यों वह क्षेत्र में कोचियों को संरक्षण दे रहे हैं?


केस 3: विनोद पान पैलेस, सैलूद चौक, उतई

एक अन्य स्थान सैलूद चौक पर हमारी टीम ने पाया कि "विनोद पान पैलेस" पर पान की आड़ में शराब बेची जा रही थी। पैक कर के शराब को पेपर में लपेटा जा रहा था और ग्राहकों को सौंपा जा रहा था। यह स्थान उतई और जामगांव भट्टी के बीच स्थित है, जहां कोचिए हर पाव पर ₹10 से ₹50 तक अतिरिक्त वसूली कर रहे हैं।



यह सवाल उठना लाजिमी है कि जब सरकार वैध दुकानों के माध्यम से राजस्व एकत्र कर रही है, तब भी अवैध शराब का यह कारोबार क्यों फल-फूल रहा है? यह न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर खतरा भी है। खासकर युवाओं में नशे की बढ़ती लत और अपराध दर इसका सीधा परिणाम हैं।


जनता पूछ रही है:


कब होगी इस शराब के गोरखधंधे पर रोक?


क्या आबकारी विभाग की भूमिका पर जांच होगी?


क्या दुर्ग संभाग में सुशासन लागू हो पाएगा?



देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर कार्रवाई करता है या एक बार फिर कोचियों को संरक्षण देकर आंख मूंद लेता है।


हम आगे भी अलग अलग जिलों में शराब कोचियों और अधिकारी के सुस्त रवैए से आपको करवाएंगे रूबरू....to be continued 

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