पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी की गिरफ्तारी के मामले में एलआई...
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी की गिरफ्तारी के मामले में एलआईसी अधिकारियों को ईडी-अधिकारियों के सवालों का सामना करना पड़ सकता है. ईडी के सूत्रों के मुताबिक अर्पिता मुखर्जी से एलआईसी के 31 पॉलिसी पेपर्स मिले हैं, जिनका सालाना प्रीमियम 50,000 रुपये है. ज्यादा पॉलिसी चल रही है और इनमें से अधिकतर में नॉमिनी पार्थ चटर्जी हैं. ईडी अब इस पैसे के स्रोत की जांच कर रही है. किस खाते से प्रीमियम जमा किया गया था. ईडी इसकी जांच शुरू कर दी है. बीमा प्रीमियम का भुगतान किसने किया? ईडी एलआईसी अधिकारियों से इस पैसे का स्रोत जानने के लिए कहेगा. बता दें कि ईडी के अधिकारियों को 50 संदिग्ध बैंक अकाउंट की जानकारी मिली है.
ईडी के अधिकारियों ने 8 बैंक अकाउंट को फ्रीज किया था.उनमें से करीब 8 करोड़ रुपये मिले थे. ईडी के अधिकारी उनकी जांच कर रहे हैं और पैसे के स्त्रोत पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
अर्पिता के नाम से मिले एलआईसी की 31 पॉलिसी
अर्पिता के बेलघरिया, डायमंड सिटी फ्लैट से करोड़ों रुपये की वसूली के बाद ईडी के अधिकारियों ने उसकी 31 बीमा पॉलिसियों का पता लगाया. इन पॉलिसी में पार्थ चटर्जी नॉमिनी हैं. ईडी के अधिकारियों ने कहा कि पार्थ और अर्पिता मुखर्जी की कई संपत्तियां संयुक्त रूप से हैं. दोनों के स्वामित्व वाली कंपनी अपा यूटिलिटी सर्विसेज का पता लगा लिया गया है. ईडी के अधिकारियों ने पहले ही अर्पिता की कई फर्जी कंपनियों का भी पता चला है. ईडी के अधिकारियों का मानना है कि फर्जी कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को व्हाइट किया जाता था
ज्यादा पॉलिसी के नॉमिनी हैं पार्थ चटर्जी
हालांकि, जांचकर्ता बीमा पॉलिसी की जांच करना चाहते हैं. ईडी के अधिकारी यह जानना चाह रहे हैं कि अर्पिता ने यह 50 हजार रुपये सालाना पॉलिसी के प्रीमियम के लिए कहां से जुटाए? 31 बीमा पॉलिसियों में से अधिकांश को प्रति वर्ष 50,000 रुपये का प्रीमियम देना पड़ा? तो इतने पैसे का स्रोत क्या है? जांचकर्ता अभी यही जांच कर रहे हैं. इस बीच अजीब तरह से पिछले शुक्रवार को पार्थ के वकील ने बैंकशाल कोर्ट के बाहर खड़े होकर सवाल किया कि पार्थ अर्पिता को नहीं जानते हैं, तो सवाल यह है कि पार्थ अर्पिता के बीमा का नॉमिनी कैसे बन गये हैं? ईडी इन सभी पहलुओं की जांच कर रही है.
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